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October 4, 2023
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SCO: लद्दाख में LAC पर जारी विवाद पर भारत और चीन की बातचीत

नई दिल्ली

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक शुक्रवार को गोवा में शुरू हो गई। चीन, पाकिस्तान, रूस समेत कई देशों के विदेश मंत्री भारत पहुंचे हैं। इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री छिन कांग से बातचीत की। इस दौरान दोनों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर जारी विवाद पर बातचीत की। बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, ‘बकाया मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने पर हमारा ध्यान केंद्रित है।’ इसके अलावा SCO, जी20 और ब्रिक्स से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

पिछले दो महीनों में दूसरी मुलाकात
जयशंकर और कांग के बीच पिछले दो महीनों में यह दूसरी मुलाकात है। चीनी विदेश मंत्री मार्च महीने में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने आए थे। इस दौरान बैठक में जयशंकर ने चीनी मंत्री को बताया था कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध के लंबा खींचने की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध असामान्य हैं। पिछले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू से मुलाकात की थी। राजनाथ ने तब साफ संदेश दिया था कि मौजूदा सीमा समझौतों का चीन ने उल्लंघन किया है जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों की बुनियाद को नुकसान पहुंचा है। पूर्वी लद्दाख में पांच मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद वहां गतिरोध शुरू हुआ था।

यूक्रेन पर रूसी मंत्री से हुई बात
विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव से दोनों देशों के संबंधों, यूक्रेन की स्थिति और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की। मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है कि क्योंकि एक दिन पहले ही रूस ने यूक्रेन पर क्रेमलिन पर हमला करने का आरोप लगाया है। यह अभी साफ नहीं है कि दोनों के बीच बातचीत के दौरान कारोबार से जुड़े मुद्दे उठे या नहीं। भारत कारोबार असंतुलन से जुड़े मुद्दों का समाधान करने को कहता रहा है।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन?
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। इसे शंघाई फाइव कहा गया था।
जून 2001 में शंघाई फाइव के साथ उज्बेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया।
2005 में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधि इसमें पहली बार शामिल हुए।
2017 में भारत-पाकिस्तान स्थायी सदस्य बने।

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