हिंदू धर्म में गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है। इंसान के जन्म से लेकर मरण तक किसी ने किसी रूप में गंगाजल की जरूरत अवश्य पड़ती है। कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों में भी गंगाजल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है।
मान्यता है कि गंगाजी के दर्शन मात्र से मनुष्यों के पाप धुल जाते हैं, और गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। अधिकतर लोग गंगाजल को अपने घरों में भी रखते हैं, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में इसे घर में रखने के नियमों का पालन नहीं कर पाते जिससे उन्हें अनजाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
दरअसल, गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। पापों का नाश करने वाली गंगा नदी को सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण दर्जा दिया गया है। व्रत-त्योहार जैसे मौकों पर गंगा नदी में स्नान किया जाता है। हर पूजा-पाठ, शुभ कार्य में गंगाजल का उपयोग किया जाता है। ऐसे में जरूरी है कि अगर घर में गंगाजल रख रहे हैं तो इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन जरूर करें।
गंगाजल को कभी भी बिना नहाए न छुएं। ना ही कभी गंदे हाथों से छुएं। गंगाजल बेहद पवित्र होता है, इसे छूने से पहले हमेशा अपनी शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए।
कभी भी मांस-मदिरा का सेवन करने के बाद गंगाजल न छुएं। ऐसा करने से पाप लगता है।
गंगाजल को हमेशा पूजा स्थान पर रखें। ध्यान रखें कि इसके आसपास गंदगी न हो।
गंगाजल को रखने के लिए घर में सबसे सही जगह घर का ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व का कोना है। माना जाता है कि देवताओं का वास होता है।
गंगाजल को कभी भी प्लास्टिक की बोतल में न रखें। प्लास्टिक अशुद्ध होता है और लंबे समय तक इसमें चीजें रखने से उनमें जहरीले रसायन आ जाते हैं। बेहतर होगा कि गंगाजल को पीतल, तांबे या चांदी के पात्र में रखें।
गंगाजल को कभी भी अंधेरे में नहीं रखें। रात के समय भी यहां धीमे प्रकाश की व्यवस्था रखनी जरूरी होती है।
यदि घर में किसी की मृत्यु हो जाए या बच्चे का जन्म हो तो सूतक काल में गंगाजल न छुएं।