भोपाल
राज्य सरकार विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजाति के विद्यार्थियों को शिक्षा के लिये आर्थिक मदद दे रही है। राज्य सरकार ने इन वर्गों के उत्थान के लिये अलग से विभाग का गठन भी किया है।
विभाग ने 8 हजार से अधिक इन वर्गों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिये आर्थिक मदद प्रदान की है। इसके साथ ही विभाग ने अन्य कदम भी उठाये हैं। विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजाति के श्रमिकों और फेरीवालों के लिये अलग से पहचान-पत्र बनाये हैं। कुछ जातियाँ निरंतर अलग-अलग स्थानों पर पारम्परिक रूप से भ्रमण करती हैं। उन जातियों के बच्चों को एक स्कूल में एडमिशन होने पर दूसरी जगह जाने पर पहले एडमिशन के आधार पर ही अब शालाओं में प्रवेश दिया जा रहा है। इन वर्गों के सम्मान के लिये अब अपराध करने वाले अपराधी का नाम लिखा जा रहा है। शासन के निर्देश पर अब जाति का नाम लिखना बंद करवाया गया है।
जिला स्तर पर विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजाति से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटियाँ भी गठित की गई हैं। सर्वोदय, ज्ञानोदय, एकलव्य विद्यालयों एवं छात्रावासों में इन जाति वर्ग के बच्चों की पढ़ाई के लिये 2 प्रतिशत सीट भी आरक्षित की गई हैं। प्रदेश में वर्तमान में विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजातियों में 51 जातियाँ शामिल हैं, जिसमें 30 जातियाँ घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू और 21 जातियाँ विमुक्त जातियों के रूप में अधिसूचित हैं।