भोपाल
- गृहमंत्री अमित शाह ने लगा दिया कयासों पर विराम
भाजपा की दूसरी सूची आने के बाद मध्य प्रदेश भाजपा के समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। इसी क्रम में क्षेत्रवार कद्दावर नेताओं को प्रत्याशी घोषित करने से यह स्पष्ट हो गया है कि अब भाजपा में व्यक्ति निष्ठा नहीं संगठन निष्ठा ही सर्वोच्च प्राथमिकता है। जिसमें भी व्यापक प्रभाव वाले साफ-सुथरे नए चेहरे ही सफलता का मार्ग तय करेंगे। इसमें राजगढ़ लोकसभा की राजगढ़, ब्यावरा सीट जिनके प्रत्याशियों के बारे में लंबे समय से जो कयास लगाए जा रहे थे उन सब पर इस दूसरी सूची ने विराम लगा दिया है। जहां तक राजगढ़ विधानसभा का प्रश्न है तो वहां पूर्व के हारे हुए चेहरों में ब्राह्मण कद्दावर नेता जो सर्वाधिक सक्रिय और प्रभावी थे वह 15 वर्ष पूर्व 20000 के लगभग मतों से करारी हार का सामना कर चुके हैं।
इसलिए वहां अब ब्राह्मण प्रत्याशी के बारे में विचार भी नहीं किया जा रहा। दूसरे तंवर समाज के रमेश तंवर जिनके कारण यह करारी हार हुई थी वह सर्व स्वीकार्य नए चेहरे हैं लेकिन कांग्रेस से तंवर समाज का प्रत्याशी लगभग तय है। जिसके कारण अब उनकी संभावना नहीं है, ऐसी स्थिति में केवल सोंधिया समाज का सर्वमान्य उम्मीदवार जिसका प्रभाव आसपास के पूरे सोंधिया समाज में हो, उस पर ही गंभीरता से विचार किया जा रहा है। तो वहीं ब्यावरा सीट पर विगत 35 वर्षों में चार बार सोंधिया समाज को और चार बार यादव समाज के एक ही प्रत्याशी को बार-बार दोहराया गया। जिसमें सोंधिया समाज के प्रत्याशी को तीन बार हार का सामना करना पड़ा तथा यादव प्रत्याशी को चार में से दो बार हार का सामना करना पड़ा।
ऐसी स्थिति में सोंधिया और यादव से हटकर कोई ऐसा नया ब्राह्मण चेहरा जिसकी स्वीकार्यता प्रदेश व्यापी हो तथा राजगढ़ और गुना लोकसभा में व्यापक संपर्क हो। जिससे दोनों लोकसभा की विधानसभा सीटों पर इसका लाभ मिल सके, इसके साथ ही अन्य सवर्ण, पिछड़ा वर्ग लोधा लोधी जैसे समाजों में तथा अधिकारी, कर्मचारी, पेंशनर्स वर्ग में जिसकी स्वीकार्यता हो तथा समीपवर्ती विधानसभा में भी उसका लाभ मिल सके, ऐसे प्रत्याशी के बारे में विचार किया जा रहा है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि चार में से तीन बार हारने वाले सोंधिया समाज के प्रत्याशी को लोधा लोधी समाज के विरोध के कारण ही हार का सामना करना पड़ा। वहीं यादव प्रत्याशी चार में से दो बार लोधा लोधी समाज के समर्थन से ही जीत पाए।
आज भी लगभग यह पूरा समाज इन दोनों के पूरी तरह विरोध में है तथा स्वयं भी टिकट की मांग करते हुए यह मांग कर रहा है कि इन दोनों चेहरों को हटाते हुए हमें टिकट दिया जाए या पुराने दोनों चेहरों के अलावा नया चेहरा लाया जाए तब समाज उनका साथ दे सकता है। इस दृष्टि से भी इस समाज की व्यापक संख्या जो कि ब्यावरा और चाचौड़ा विधानसभा में और राघोगढ़ विधानसभा में प्रभावी रूप से है। इस हेतु इस समाज के सर्वाधिक निकट ब्राह्मण समाज का कोई ऐसा प्रत्याशी जिसका इन तीनों विधानसभा में व्यापक प्रभाव हो, उसके बारे में गंभीरता से विचार किया जा रहा है।