बेंगलुरु
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन से बायजू ने इनकार किया है। कंपनी ने मीडिया में चल रही खबर कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 9,000 करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए बायजू को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, से साफ इनकार किया है। कंपनी ने एक्स पर जारी एक पोस्ट में कहा है कि अथॉरिटी से हमें इस संबंध में कोई कम्यूनिकेशन नहीं मिला है।
बेंगलुरु में तीन परिसरों में तलाशी और जब्ती हुई थी
सूत्रों के मुताबिक, बायजू के संस्थापक बायजू रवीन्द्रन और थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बायजू ने इस खबर का खंडन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल अप्रैल में, ईडी ने फेमा के कानून के तहत रवींद्रन और उनकी कंपनी 'थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड' के खिलाफ दर्ज मामले के संबंध में कर्नाटक के बेंगलुरु में तीन परिसरों में तलाशी और जब्ती की थी।
28,000 करोड़ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया
ईडी अधिकारियों ने कहा कि तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डेटा जब्त किए गए। मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईडी अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने 2011 से 2023 तक लगभग 28,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया है और इसी अवधि के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के नाम पर विभिन्न विदेशी न्यायक्षेत्रों में लगभग 9,754 करोड़ रुपए भेजे हैं। उस समय, ईडी के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने विज्ञापन और मार्केटिंग खर्चों के नाम पर लगभग 944 करोड़ रुपए बुक किए थे, जिसमें विदेशी क्षेत्राधिकार को भेजी गई राशि भी शामिल थी।
क्या है बायजू का संकट
एजुटेक कंपनी लगातार संकटों का सामना कर रही है। कंपनी कैश की किल्लत से जूझ रही है। बीते कुछ महीनों में 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन का भुगतान नहीं कर पाई है। इसके बाद कंपनी से सांविधिक लेखा परीक्षक और तीन बाहरी बोर्ड सदस्यों ने प्रबंधन और बोर्ड के सदस्यों के बीच मतभेद का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। जिन तीन निदेशकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें पीक XV के जी वी रविशंकर, पूर्व सिकोइया कैपिटल इंडिया के जीवी रविशंकर, चान जुकरबर्ग के विवियन वू शामिल हैं। पहल और प्रोसस के रसेल ड्रिसेनस्टॉक।
अप्रैल में ईडी ने की थी छापेमारी
अप्रैल महीने में ईडी ने बायजू के अलग-अलग दफ्तर और कैंपस में छापेमारी की थी। इसके बाद कंपनी के फाउंडर और सीईओ बायजू रवींद्रन ने कर्मचारियों को पत्र लिखकर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि कंपनी किसी भी दूसरे स्टार्टअप की तुलना में भारत में ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लेकर आई है। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि फर्म बायजू विदेशी मुद्रा विनिमय कानून का पूरी तरह से पालन करती है। कर्मचारियों को इंटरनल मेल में रवींद्रन ने कहा कि कंपनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण के लिए कुछ पैसे विदेश में भेजे थे। उन्होंने तब कहा कि बायजू ने अपनी वृद्धि रणनीति के तहत कई साल में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश करते हुए कुछ विदेशी अधिग्रहण किए हैं।
रोजगार देने में सबसे आगे: रवींद्रन ने आगे कहा-बायजू किसी भी दूसरे भारतीय स्टार्टअप की तुलना में भारत में अधिक एफडीआई लाई है और इसके चलते हमने 55,000 से अधिक प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। यह स्टार्टअप के बीच भारत की सबसे बड़ी नियोक्ता है।
बता दें कि भारत के इस सबसे मूल्यवान स्टार्टअप का मूल्यांकन कभी 22 अरब डॉलर था और इसने जनरल अटलांटिक, ब्लैकरॉक और सिकोया कैपिटल जैसे वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया है।