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अचानक इस्राइल ने ईरान पर हमला कर पूरा मामला नई ओर मोड़ दिया, बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम

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इस्राइल 
इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इससे पूरी दुनिया के बाजारों में अफरा-तफरी का माहौल है। भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है और शेयर टूट गए हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर भी इसका असर दिख सकता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
 
इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इससे पूरी दुनिया के बाजारों में अफरा-तफरी का माहौल है। भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है और शेयर टूट गए हैं। निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में अपना पैसा निकाल रहे हैं। इसका सीधा असर एक बार फिर सोने और डॉलर में तेज निवेश के रूप में सामने आ सकता है, वहीं भारत पर इसके कारण पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ेगा और इसका असर आवश्यक पदार्थों की कीमतों में तेजी के रूप में सामने आ सकता है। 

अभी एक ही दिन पहले यह खबर सुनकर आम भारतीय उपभोक्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई थी कि महंगाई दर कई वर्षों में सबसे निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई थी। रिजर्व बैंक ने भी महंगाई को नियंत्रण में देखकर रेपो दरों में कमी का ऐलान कर दिया था। इससे रेपो दरें 5.50 प्रतिशत पर आ गई हैं और अनुमान यही लगाया जा रहा है कि बैंक रेपो दरों में कमी का लाभ आम उपोक्ताओं तक पहुंचाएंगे और उनकी घर-कारों पर लिए गए कर्ज की महंगी ईएमआई कुछ कम हो सकेगी। 

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लेकिन इसी बीच अचानक इस्राइल ने ईरान पर हमला कर पूरा मामला नई ओर मोड़ दिया है। ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। इस हमले के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 8.84 प्रतिशत बढ़कर 75.49 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं। ईरान भी इस हमले के बाद चुप नहीं बैठेगा। वह जवाबी हमला कर सकता है। ईरान-इस्राइल के युद्ध में ईरान के तेल कुओं को भी नुकसान होने की संभावना बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो क्रूड ऑयल की कीमतों में और अधिक वृद्धि हो सकती है। 

भारत पर कैसे पड़ेगा असर?
भारत करीब 40 देशों से तेल आयात करता है। 2024 में ओपेक देशों ने भारत के कुल तेल आयात का करीब 51.5 प्रतिशत निर्यात किया था। लेकिन विशेष देश के हिसाब से देखें तो सबसे बड़ी हिस्सेदारी रूस की रही। अकेले रूस ने 2024 में भारत के कुल तेल आयात का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया था। ईरान पर युद्ध के कारण ओपेक के दूसरे देशों से निर्यात मूल्य में बढ़ोतरी हो सकती है। इसका असर भारत पर पड़ सकता है। इससे हमारे यहां तेल मूल्यों पर असर पड़ सकता है।

 

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